समीर

क्यूँ समीर तू रुका हुआ है छोड़ सभी बांधा मग में। मुझको भी गतिवान बना तू तीव्र चलूँ उजले पथ में। क्यूँ समीर ………….. मंद मंद शीतलता से तू शीतल राहे कर देता। निज स्वभाव को इस जीवन में थोड़ा सा ही भर देता। क्यूँ समीर……………. सरसर की मृदु ध्वनियों से तू सांसो की साँस … Continue reading समीर